Thursday 10 October 2013

श्रीदुर्गाष्टोत्तार्शत्ननाम्स्त्रोतम


श्रीदुर्गाष्टोत्तार्शत्ननाम्स्त्रोतम
शंकर जी पार्वती जी से कहते हैं ---कमलानने ! अष्टोत्तरशत नाम का वर्णन करता हूँ , सुनो I जिसके प्रसाद (पाठ या श्रवण ) मात्र से परम साध्वी भगवती दुर्गा प्रसन्न हो जाती है II
१ ॐ सती
२ साध्वी
३ भवप्रीता (भगवान शिव पर प्रीति रखनेवाली )
४ भवानी
५ भवमोचनी(संसार बंधन से मुक्त करने वाली )
६ आर्या
७ दुर्गा
८ जया
९ आद्या
१० त्रिनेत्रा
११ शूलधारिणी
१२ पिनाकधारिणी
१३ चित्रा
१४ चंडघण्टा
१५ महातपा:(भरी तपस्या करने वाली )
१६ मन: (मनन - शक्ति)
१७ बुद्धि: (बोधशक्ति )
१८ अहंकारा (अहंता का आश्रय )
१९ चित्तरूपा
२०चिता
२१ चिति:(चेतना )
२२ सर्व- मन्त्र मयी
२३ सत्ता (सत् -स्वरूपा )
२४ सत्यानन्दस्वरूप्नी
२५ अनन्ता (जिस्केस्वरूप कहीं अंत नहीं )
२६ भाविनी(सबको उत्पन्न करने वाली )
२७ भाव्या ( भावना एवं ध्यान करने योग्य )
२८ भव्या ( कल्याणरूपा )
२९ अभव्या ( जिस बढ कर भव्य कहीं है नहीं )
३० सदा -गति:
३१ शाम्भवी (शिव प्रिय )
३२ देव माता
३३ चिंता
३४ रत्न प्रिया
३५सर्व विद्या
३६ दक्ष कन्या
३७ दक्ष यज्ञविनाशनी
३८ अपर्णा ( तपस्या के समय पत्तों को भी न खाने वाली )
३९ अनेक वर्णा (अनेक रंगों वाली)
४० पाटला (लाल रंग वाली )
४१ पाटलावती ( गुलाब के फूल या लाल फूल धारण करने वाली )
४२ पट्टाम्बर परिधारना ( रेशमी वस्त्र पहनने वाली )
४३ कल मंज्ज़िर रंज्जनी ( मदुर धवनी करने वाले मंज्ज़िर को धारण करके प्रसन्न रहने वाली )
४४ अमेयविक्रमा ( असीम परक्रमवाली )
४५ क्रूरा ( दैत्यों के प्रति कठोर )
४६ सुंदरी
४७ सुरसुन्दरी
४८ वनदुर्गा
४९ मात न्ड्गी
५० मतंगमुनि पूजिता
५१ ब्राह्मी
५२ माहेश्वरी
५३ ऐन्द्री
५४ कौमारी
५५ वैष्णवी
५६ चामुंडा
५७ वाराही
५८ लक्ष्मी:
५९ पुरुषाकृति :
६० विमला
६१ उत्कर्शिनी
६२ ज्ञाना
६४ नित्या
६५ बुद्धिदा
६६ बहुला
६७ बहुलप्रेमा
६८ सर्ववहानवाहना
६९ निशुम्भशुम्भहननी
७० महिषासुरमर्दिनी

७१ मधुकैटभह्न्त्री
७२ चंडमुंडविनाशनी
७३ सर्वासुरविनाशा
७४ सर्वदानवघातिनी
७५ सर्वशास्त्र्मायी
७६ सत्या
७७ सर्वास्त्रधारिणी
७८ अनेकशास्त्रहस्ता
७९ अनेकास्त्रधारिणी
८० कुमारी
८१ एक कन्या
८२ कैशौरी
८३ युवती
८४ यति:
८५ अप्रौढा
८६ प्रौढ़ा
८७ वृद्दमाता
८८ बलप्रदा
८९ महोदरी
९० मुक्तकेशी
९१ घोररूपा
९२ महाबली
९३ अग्निज्वाला
९४ रौद्रमुखी
९५ कालरात्रि:
९६ तपस्वनी
९७ नारायणी
९८ भद्रकाली
९९ विष्णुमाया
१०० जलोदरी
१०१ शिवदूती
१०२ कराली
१०३ अनन्ता ( विनाशरहिता )
१०४ परमेश्वरी
१०५ कत्यानी
१०६ सावित्री
१०७ प्रत्यक्षा
१०८ ब्रह्मवादिनी
• जो भगवती दुर्गा के इन 108 नामों का नित्य पाठ करता है उसके लिए तीनों लोकों में कुछ भी असाध्य (अप्राप्य)नहीं रहता । इस लोक में रहते हुए वह धन ,धान्य,पुत्र,अश्व एवं हाथी आदि ऐश्वर्य का भोग करते हुए धर्म ,अर्थ , काम व मोक्ष को प्राप्त करता है तथा अन्त में शाश्वत (नित्य) मुक्ति को प्राप्त होता है ।

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