Tuesday 10 September 2013

जय माता दी

                                                       Prakriti Se Prem Jai Mata Di


दो लोग गंभीर तरीके से बीमार थे और
दोनों को एक ही रूम
रखा था .
एक को फेफड़े की तंदरुस्ती के रोज़ 2 घंटे खिड़की के पास
बेठने का आदेश मिला था .
रूम में केवल एक ही खिड़की थी और
उसका पलंग उस
खिड़की के पास था
जबकि दुसरे मरीज़ को पलंग पर ही पड़े रहना पड़ता था .
वो दोनों घंटो तक बाते करते अपने
बीवी, बच्चो और नोकरी ,
घूमने फिरने वगेरह के बारे में बाते करते
थे .
हर रोज जब वो पहला मरीज़ खिड़की के पास बेठता तो दुसरे
मरीज़ को बाहर का माहौल बता कर
समय बिताता 2 घंटो के लिए
मानो उस दुसरे मरीज़ के लिए
वो हॉस्पिटल भुलाकर
पूरी दुनिया की सेर करवाता . " खिड़की के बहार एक सुंदर
बगीचा है और झील में .
तालाबों, बतख और कुछ कलहंस खेलते
हैं.
दूसरी ओर, बच्चे कागज की नावे
बना कर खेल रहे हैं. प्रेमी जोड़े हाथ में हाथ रख कर दूर तक
चल रहे है .
विभिन्न रंगों के फूलों के बीच,
आकाश सुरम्य दृश्यों में मूल्यांकन कर
रहा है ...
आकाश में पंछी अपने पंखो के साथ उड़ान भर रहे है
" दूसरा आदमी अपनी आँखें बंद कर
देता है और इन सब
की कल्पना करता था .
ऐसे करते करते दिन महीनो में बीत
गये एक दिन जब नर्स उस पहले मरीज़ को नहलाने आई तोह
देखा की वो पलंग पर
निर्जीव पड़ा है नर्स को बहुत दुःख
हुआ
नर्स ने अस्पताल
वालो को बुलाया और उसका निर्जीव
शरीर को रूम से बहार ले गए
अब खिड़की वाला पलंग
खाली हो गया ... और दूसरा मरीज़
अकेला पङ गया
कुछ दिनों बाद दुसरे मरीज़ ने नर्स से खिड़की वाला पलंग लेने
की बात कही
नर्स ने ख़ुशी से दुसरे मरीज़
को खिड़की वाला पलंग दे दिया .
खिड़की वाला पलंग पाकर
दूसरा मरीज़ खुश हुआ धीरे धीरे थोडा सा कष्ट उठाकर
खिड़की के पास बेठने
की कोशिश की
जैसे तैसे मुश्किल से बेठा और
खिड़की के बहार
की सुन्दरता देखने की कोशिश की जैसे ही उसने खिड़की में
झाका तो उसके मुह से निकल
पड़ा अरे ये क्या ?
खिड़की के बाहर सिर्फ एक दीवार
थी .
उसके कुछ समझ में नहीं आया . उसने नर्स से पूछा - " नर्स
यहाँ खिड़की के बाहर
बगीचा था ये दीवार कहा से आई?
नर्स ने कहा: " वह
आदमी अंधा था और यहां तक
कि दीवार नहीं देख सकता ,
वह तो बस आप को प्रोत्साहित
करना चाहता था !
"बोध "
दुसरो को खुश करना यही सबसे
बड़ा सुख है . भले
ही अपनी परिस्थिति कैसी ही क्
दुःख बाटने से आधा होता है और सुख
बाटने से दुगुना होता है
सुख एक ऐसी चीज़ है
जिसको पैसो से नहीं खरीद बस किसी को ख़ुशी देकर
सुख को अनुभव
किया जा सकता है.

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