( श्रीमद्भागवत गीता - १०/०३/ १-२ ) - { कृष्ण
जन्म } - [ कृपया पूरा पढ़ें ] - - श्री शुकदेव जी कहते हैं -->
परीक्षित ! अब समस्त शुभ गुणों से युक्त बहुत सुहावना समय आया l रोहिणी
नक्षत्र था l आकाश के सभी नक्षत्र ,ग्रह और तारे शांत -- सौम्य हो रहे थे l
दिशाएँ स्वच्छ प्रसन्न थीं l निर्मल आकाश में तारे जगमगा रहे थे l पृथ्वी
के बड़े - बड़े नगर , छोटे - छोटे गाँव , अहीरों की बस्तियाँ और हीरे आदि की
खानें मंगलमय हो रही थीं l
.गीता .
.गीता .
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